जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे, मौत से इतनी मुहब्बत कहाँ सही था? जीने की इच्छा बुझ गयी तुममे, मौत से इतनी मुहब्बत कहाँ सही था?
और तुम समझते हो, उत्तर मुझे मालूम नहीं तो सुनो।।। ये जो सुखी जीवन, जी रहे हो ना! वो मेरे उत्तर ... और तुम समझते हो, उत्तर मुझे मालूम नहीं तो सुनो।।। ये जो सुखी जीवन, जी रहे हो...
I am deleting my poems. I am deleting my poems.
नीर नदी वृष्टि सृष्टि ने गढ़ा मन आत्मन अस्तित्व क्यों करता व्याकुल मानुष नष्ट कलरव पंछ नीर नदी वृष्टि सृष्टि ने गढ़ा मन आत्मन अस्तित्व क्यों करता व्याकुल मानुष नष्ट ...
पहली बार इतिहास अपनी आंखों से बनते भी देखा पहली बार इतिहास अपनी आंखों से बनते भी देखा
जी भर के रोया जब सुना बेटीयों को जलते, ख़ुद को भी कोसा। ख़ामोशियों को अपना कर आवाज़ जब जी भर के रोया जब सुना बेटीयों को जलते, ख़ुद को भी कोसा। ख़ामोशियों को अपन...